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28 January, 2022

चिट्ठी आई है, आई है...

प्यारी पिरीति,

Love you forever but miss you so much!!!

हमको पता है ई चिठी तुम कबो नहीं पढ़ पाओगी। तभियो लिख रहा हूं। आंख भारी है और मन रो रहा है तुमको इयाद करके! सन 21 का करोना लमहर दरद देकर गया है। बस एतने जान लो, सबका कुछ न कुछ जरुरे लुटाया है। 

केतना सुहागिन के माथ का सेनुर मिट गया! केहु के मां-बाप छीनकर अनाथ बना दिया! त केहु से पत्नी आ बेटा छीन लिया! केतना लोग ठीक होखला के बादो रोजे मर-मरके जी रहा है। स्टूडेंट सबके पढ़ाई नास हो गया।

एतना महंगाई के जमाना में जेकर रोजी-रोजगार चउपट हो गया! ओकर जियल भी आसान है का! हमारा तो सब ठीके जा रहा था। मने तुम्हीं न बीचे रास्ता में छोड़के चली गई! 

अब केकरा से बताए, का सुनाए, हमारा क्या उजड़ गया। बिना बंधाए जाने कवन सा रिस्ता जुड़ गया था तुमसे। 

जिनगी भर इयाद रहेगा दू मई, सन 21 का ऊ मनहूस दिन। जहिया मोतिहारी के एगो अस्पताल में तुम्हारा परान निकला था।

सात दिन के देह तोड़ बोखार के बाद तुमको घर वाले दिखाने ले गए। कोई निमुनिया बता रहा था कोई टीबी, जेतना मुंह ओतना बात। बहुते जोर से दम फुल रहा था। 

सीटी चेक में आया कि तोहार लंग्स खराब हो गया था। सबेरे भरती हुई, ऑक्सीजन लगाया गया। और रात होते-होते करोनवा तुमको भी ले उड़ा।

ख़ैर छोड़ो, जानती हो परसो ही पंजाब से आया हूं। एतना ठंडी में पछुआ बेआर हाड़ को छेद रही है। आजु तनिका धूप देखा त दखिन टोला सरेह में घूमे चल दिया। अरे घूमेंगे का, बिलाला जइसन बउरा रहे हैं। 

इहवां जेने नजर दौड़ाओ, लगता है हरिहर धरती पर पियरका चादर बिछा दिया गया है। रह-रहके मन करता है गेहूं के खेत में नुकाके बइठ जाए। फुलाइल सरसों, तीसी, मटर से जी भर बतिआए। निरहुआ के गाना, ओढ़नी के रंग पियर जादू... पर डांस करें। आ मोबाइल से एगो गारदा भिडियो बनाए, फेसबुक रील, इंस्टा पर डाले दें। 

मने भाक ! दिखाएंगे किसको। जब तुम्हीं नहीं हो त ई सब बेकारे नु है। यहीं सोंचकर रोआई आवे लगता है, एकदम से भकुआ हो गया हूं। यहीं टाली पर वाला खेत है न, जहां एक बरस पहले मिले थे। साग खोंटने के बहाने हेमवा के संगे आई थी। 

केतना सुनर लग रही थी तुम पियरका शूट में। तोहरा आ सरसों के फूल में कंपीटिशन हो गया था। समझे में नहीं आ रहा था पहले किसको निहारे!

खूब बतकही हुई था, हमनी दुनु जने में। तुम अरेराज डिग्री कॉलेज में बीए में नाम लिखवाई थी। मैंने सोनगंज इंटर हाई स्कूल से दोबारा आईए का फारम भरा था। मार्च में एक्जाम होने वाला था। 

तुमने किरिया धरा दिया था हमको, आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए। असो के फगुआ में मिलने का वादा भी था हुआ। हम एक्जाम के बाद पापा के पास लोधियाना चले गए, कम्बल फैक्ट्री में कमाने। दीदी के बियाह में महाजन का बहुते करजा चढ़ गया था। 

उहवे जिस दिन रिजल्ट आया। तहिया खराब-खराब सोचके बड़ी जोर से करेजा धुकधुका रहा था। नरसिंग बाबा का धेआन कर मोबाइक पर चेक किया। सेकेंड डिवीजन आया था। 

अबकी सोनुआ बहुते हेल्प किया पास करने में। गेस का जेतना पन्ना फाड़ कर ले गया था, सब लड़ गया।  खुशी के मारे छउकने का खेयाल आ रहा था कि तुमको इयाद कर अचानक दिल बैठ गया। 

तुमने किरिया धराया था पढ़ाई नहीं छोड़ने के लिए। इहे सोचकर लोधियाना में ही इग्नू में बीए ओनर्स में एडमिशन करा लिए। बिना अंगरेजी आ कंप्यूटर सीखे अब कवनो नोकरी में काम नहीं चलने वाला। एहि से स्पोकन कोर्स भी जॉइन कर लिया हूं। संगे-संगे भर्ब, टेंस, नाइरेशन, एमएस वर्ड, एक्सल भी चल रहा है। 

एने जहिया से गांवे आया हूं, कुछो आछा नहीं लग रहा। आंखि के सोझा हर समय तुम्हारा ही चेहरा घूमते रहता है। कबो मन करता है कि आरके सर के कोचिंग में जाकर पछिला बरेंच पर बैठ जाए। कम से कम उहां तो भेंटा जाओगी। 

त कबो सोचते हैं कि चउक पर सबेरे सात बजे खदेरना के पान दोकान पर खड़िया जाए। और तुम साइकिल से गुजरते हुए एक झलक लउक जाती। 

मने ई सब सोचल पागलपने नु है। जे चला जाता है ऊ लवट के कहां आता है। आ केहु के जाने से दुनिया खतम भी तो नहीं हो जाती। ई त अपनी रफ्तार में चलती रहती है। मने इहो सांच है कि जेकरा दिल पर बीतता है उहे बुझता है। बिल्कुल ई शायरी के जइसन - 

"तनहा रहल त मोह$बत करे वाला क रसम-वफा हवे

जदि फूल खुशी खातिर रहित त जनाजा प ना चढ़ित"

तुम्हारा पिरितम

©️श्रीकांत सौरभ



3 comments:

Unknown said...

दिल छु लेने वालीं रचना

अनीता सैनी said...

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२९-०१ -२०२२ ) को
'एक सूर्य उग आए ऐसा'(चर्चा-अंक -४३२५)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

Anita said...

मार्मिक सुंदर कहानी