अंजोर Anjor
अब पढ़ता कोई नहीं लिखते सभी हैं, शायद इसलिए कि सबसे अच्छा लिखा जाना अभी बाकी है!
18 September, 2013
बिहार भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष चंद्रभूषण राय और पटना प्रवास से जुड़ी मेरी यादें
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किसी भी पद के लिए चयन से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है उसकी गरिमा को बचाए रखना. और यह तभी मुमकिन है जब उस पद पर किसी योग्य व्यक्ति को चुना जाए...
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इंटरनेट ने लगाया 'छपास रोग' पर मरहम
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'छपास' की बीमारी बेहद ख़राब होती है. जिस किसी को यह रोग एक बार लग जाए. ताउम्र पीछा नहीं छोड़ता. प्रायः यह पत्रकारों व लेखकों में पा...
14 September, 2013
मशहूर पत्रकार निराला उर्फ़ बिदेशिया जब मेरे गांव आए
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निराला पत्रकारिता तो सभी करते हैं पर इसे जीता कोई-कोई ही है. एक ऐसे ही बिहारी पत्रकार हैं निराला जो कि पत्रिका तहलका,पटना से जुड़े हैं....
हिंदी दिवस पर अमेरिका से मिश्रा जी का यह फोन
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आज 14 सितम्बर है, बोले तो हिंदी दिवस. सुबह में ही अमेरिका के बोस्टन शहर में रहने वाले एनआरआई सुधाकर मिश्रा का फोन आया. बोले, मेरा नंबर उनको...
16 April, 2013
...तो क्यों नहीं साहित्यिक पंडों की लेखन शैली का भाषाई श्राद्ध करा दें?
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रचनात्मक लेखन की कश्ती पर सवार हिंदी के युवा साहित्यकारो, जरा ध्यान दीजिए... ------------------------------------------------------------...
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14 April, 2013
यादें (3): वो जमाना जब दूध सस्ता और मनोरंजन महंगा था!
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जब मैंने होश संभाला 5 साल की उम्र रही होगी, सन 88 का वर्ष था. वह दौर जब उदारीकरण की सुगबुगाहट में उनींदा भारत ‘इंडिया’ बनने की और अग्रसर...
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07 April, 2013
यादें (2): ...और 'मिशन स्कूल' में पढ़ाई का सपना अधूरा रह गया!
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यादाश्त पर जोर दूं तो 90 का शुरूआती दशक था वह . तब मैं दूसरी कक्षा में पढ़ता था पड़ोस के ही प्राथमिक विद्दालय में , न...
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