निराला |
पहले प्रभात खबर और अब तहलका, जहां गए इन्होंने प्रतिभा की छाप छोड़ी. ग्रास रूट पत्रकारिता के पक्ष में जितनी इनकी दीवानगी है. उतना ही भोजपुरी भाषा व संस्कृति के प्रति भी पैशनेट हैं. और... सबसे बड़ी बात यह कि एक बार जो निराला से मिल ले इनका फैन जरूर हो जाता है. एक खबर की तलाश में निराला पिछले वर्ष 12 में मेरे गांव कनछेदवा भी आ चुके हैं. मेरे चाचा प्रभात समाजसेवी हैं और जेपी आंदोलन के साक्षी रहे हैं. उन्हीं के बुलावे पर वे आए थे. उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि इस छोटे से गांव में विनोबा भावे, कुलदीप नैयर से लेकर प्रख्यात फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा भी आ चुके हैं. जब मैंने उन्हें कहा कि महत्वपूर्ण आगंतुकों की इस सूची भी अब आप भी शामिल हो चुके हैं. तो वे मुस्कुराए बिना न रह सके. बस इतना ही कहा, भाई मैं इन महानुभावों की तुलना में अभी नौसिखुआ ही हूं
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