अंजोर Anjor

अब पढ़ता कोई नहीं लिखते सभी हैं, शायद इसलिए कि सबसे अच्छा लिखा जाना अभी बाकी है!

17 July, 2014

N.H. 28 की वो मिडनाइट हसीनाएं और मेरा सफर

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ये लड़की सुनो, साहब के साथ जाएगी क्या? उस सुनसान अंधेरी रात में सड़क के किनारे अचानक से एक आभासी छाया को देख ड्राइवर ने गाड़ी धीमी कर दी. और ...
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13 July, 2014

अरेराज : देखो बबुआ, ई है सोमेश्वर धाम!

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जाने वह कौन सी घड़ी और... क्या खासियत लगी होगी इस जगह में. जब देवों के देव महादेव ने यहां बसने का फैसला किया होगा. आज दुनिया इसे अरेराज क...
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24 March, 2014

NDTV वाले रविश के गांव से श्रीकांत सौरभ की रिपोर्ट

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बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मुख्यालय मोतिहारी से 36 किमी दक्षिण-पश्चिम में बसी है एक छोटी सी पंचायत, पिपरा. गंडक (नारायणी) नदी के बा...
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14 March, 2014

यहां भोजपुरी बोलने पर मिलता है सम्मान

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“इतिहास हमें सिखाता है कि किसी देश को बर्बाद करना है तो सबसे पहले वहां की मातृभाषा को नष्ट कर दो. शायद जर्मनी, चीन, फ्रांस व जापान के लोग...
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26 February, 2014

इसी 'कुछ' ने पत्रकारों का वजूद बचा कर रखा है

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मुफ्फसिल क्षेत्रों में पत्रकारिता बेहद दुरुह काम है. और यहां तकरीबन 90 प्रतिशत ग्रामीण पत्रकारों को दस टके पर खटना पड़ता है. वह भी सुबह से श...

"...घर के भाषा में ना बात करल खराब मानल जाला"

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कल एक शादी समारोह में खाना बनाने वाले कैटरर्स को आपस में बंगाली में बतियाते देख नजरें उनपर ठहर गई. स्थानीय हलुवाई टीम का एक भोजपुरी भाषी क्...
18 February, 2014

अब कलम नहीं चलाते ब्यूरो चीफ

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एक जमाना था जब अखबारों के जिला संस्करण नहीं होकर प्रादेशिक पन्ने छपते थे. जिला कार्यालय में ब्यूरो चीफ की अच्छी खासी धाक रहती थी. अखबार के...

भाषा सुधार नहीं सूचना के लिए पढ़ें अखबार

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भले ही अन्य निजी संस्थानों में तमाम डिग्रियां होने के बावजूद स्किल टेस्ट लेकर ही भर्ती करने का प्रावधान है. लेकिन मीडिया में दक्षता जांच कर...

मेरी वीरगंज (नेपाल) यात्रा - 1

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जब भी रक्सौल आता हूं, जाने क्यों नास्टलेजिक हो जाता हूं. इस पार भारत व उस पार नेपाल का वीरगंज शहर. इस बार मां की आंखों के इलाज के लिए परवान...
18 September, 2013

बिहार भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष चंद्रभूषण राय और पटना प्रवास से जुड़ी मेरी यादें

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किसी भी पद के लिए चयन से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है उसकी गरिमा को बचाए रखना. और यह तभी मुमकिन है जब उस पद पर किसी योग्य व्यक्ति को चुना जाए...
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इंटरनेट ने लगाया 'छपास रोग' पर मरहम

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'छपास' की बीमारी बेहद ख़राब होती है. जिस किसी को यह रोग एक बार लग जाए. ताउम्र पीछा नहीं छोड़ता. प्रायः यह पत्रकारों व लेखकों में पा...
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नाचीज़ की तारीफ़

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श्रीकांत सौरभ
कनछेदवा, मोतिहारी, बिहार, India
साहित्य के अथाह समंदर का नवोदित तैराक हूं। किसी भी एक भाषा का मुक़म्मल ज्ञान नहीं, देवनागरी से बेपनाह मोहब्बत है। मेरा लिखा पढ़कर प्यार लुटाइए या नाराज़गी जताइए। लेकिन अपनी भावनाओं को छुपाइएगा मत।
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