अंजोर Anjor

अब पढ़ता कोई नहीं लिखते सभी हैं, शायद इसलिए कि सबसे अच्छा लिखा जाना अभी बाकी है!

31 March, 2013

यादें (1): देवनागरी का ज्ञान ही मेरे जीवन की बड़ी कमाई!

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अतीत की यादें अक्सर हमारी स्मृति को कुरेदती हैं. और... गुजरी जिंदगी में कुछ पल ऐसे भी होते हैं, जिन्हें हम चाहकर भी नहीं भूल सकते! किसी के...
13 March, 2013

काश, फगुआ का वो दौर फिर से लौट आता!

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"नीक लागे धोती, नीक लागे कुरता, नीक लागे गउवा जवरिया हो, नीक लागे मरद भोजपुरिया सखी, नीक लागे मरद भोजपुरिया..!" इस लोकप्रिय भो...
18 January, 2013

सच्चा प्यार केवल पत्नी ही कर सकती है

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दो लफ्जों की है अपनी कहानी, या तो मोहब्बत या है जवानी. जवानी यानी जीवन का वह खूबसूरत दौर. जब हर युवा की चाहत होती है, किसी को अपना बना ले...
17 January, 2013

रूकती सांसे सांसें... थमते नब्ज... और झूठा दिलासा

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जिंदगी तो बेवफा है... एक दिन ठुकराएगी, मौत दिलरूबा है यारों संग लेके जाएगी...! मौत यानी जिंदगी का सबसे भयावह क्षण. खासकर अल्प आयु में किसी ...
16 January, 2013

धंधा चमकाने को लेबल बूरा नहीं है!

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अखबार में बतौर स्टिंगर कुछ अच्छा लिख कर बाईलाइन खबर छपवाने की सनक. यानी कि ऐसी बीमारी जिसका इलाज बेहद महंगा है, जबकि तरीका उतना ही घटिया. ...
11 October, 2012

'' लिखो ऐसा कि रिक्शा चालक भी समझ जाए ''

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  श्रीकांत सौरभ भले ही प्रस्तुत आलेख के शीषर्क में सस्तेपन का त...
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नाचीज़ की तारीफ़

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श्रीकांत सौरभ
कनछेदवा, मोतिहारी, बिहार, India
साहित्य के अथाह समंदर का नवोदित तैराक हूं। किसी भी एक भाषा का मुक़म्मल ज्ञान नहीं, देवनागरी से बेपनाह मोहब्बत है। मेरा लिखा पढ़कर प्यार लुटाइए या नाराज़गी जताइए। लेकिन अपनी भावनाओं को छुपाइएगा मत।
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